हाल ही में आई व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी सोशल मीडिया की बढ़ती दादागिरी का नतीजा है, बीते कई वर्षों में मीडिया ने अर्थव्यवस्था से लेकर समाज तक हर हिस्से में अपनी गहरी पैठ बना ली है !
ऐसे में इनके बहाने हम लोगों के साथ भी फ्रॉड होने लगे हैं इसके अलावा भी कोरोना काल में डिजिटल का ऐसा दौर आया कि हर कोई पैसे से लेकर काम और पढ़ाई सब मोबाइल लैपटॉप पर कर रहा है !
इसमें अब साइबर फ्रॉड की शिकायतें लगातार बढ़ रही है लोगों के बैंक खातों पर एप्स और दूसरे माध्यमों से अपराधी सेल लगा रहे हैं !
इसी वजह से अब सरकार ने तय कर लिया है कि 20 साल पुराने Information Technology Act के बदलते दौर के मुताबिक बदलाव करेगी !
जानकारों का यह भी मानना है कि मौजूदा माहौल में भरोसे डिजिटल माहौल बनाने में सरकार को यह कदम तुरंत उठाना चाहिए !
दरअसल Information Technology Act 2000 में बना था और इसमें अभी तक केवल एक एक ही बार यानी 2008 में संशोधन किया गया था लेकिन अब इस एक्ट के कई हिस्से स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की भीड़ में बेमतलब खो गए हैं साथ ही अब तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग और वर्चुअल प्रोडक्ट के आने वाले इस दौर में इसके कई हिस्से भी बेमानी हो सकते हैं !
इसके साथ ही इस एक्ट में ऑनलाइन गेम्स और वीडियो ऑनडिमांड के बारे में भी कोई जिक्र नहीं किया गया है आने वाले दिनों में नया डाटा प्रोडक्शन बिल ही आने वाला है ऐसे में भारत का कोई भी बदलाव दुनिया भर में नोटिस किया जाएगा भारत आने वाले दिनों में 70 करोड़ इंटरनेट यूजर्स का मार्केट बन जाएगा और यहां पर 100 करोड़ स्मार्टफोन होंगे !
ऐसे में भारत में होने वाली किसी भी रेगुलेशन का असर दुनिया की कंपनियों पर हो सकता है हालांकि इन बदलाव के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि इनसे सुरक्षा के साथ साथ कारोबार के दरवाजे तो खुले रहेंगे क्योंकि अगर सख्ती के बहाने कंपनियों पर कानून में बदलाव करके लगाम लगाई गई तो फिर यह दांव उलटा भी पड़ सकता है !